अभिनय का ना डेफिनेट परिभाषा बना है और ना बनेगा; मनोज टाइगर
अभिनय का ना डेफिनेट परिभाषा बना है और ना बनेगा; मनोज टाइगर
रंगमंच को सीढ़ी के तरह कोई इस्तेमाल करेगा तो ना वह घर का रहेगा ना घाट का
गोरखपुर। डीकेएस टीवी न्यूज़ नेटवर्क। भारत विकास परिषद के तत्वाधान में रंग कर्मियों की एक बैठक विजय चौराहा गैस गोदाम स्थित एक शिक्षण संस्थान में हुई जहां शहर के रंग कर्मियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर रंगकर्म पर विधिवत चर्चा की । कार्यक्रम का संचालन युवा वरिष्ठ रंगकर्मी मानवेंद्र त्रिपाठी ने किया ।
रंगकर्म पर चर्चा करते हुए रंगकर्मी मुकेश प्रधान ने कहा किसी भी संस्था का नाटक हो सहयोग सभी का होना चाहिए। हम अभिनेता के साथ-साथ एक अच्छा दर्शक भी बने। अजय यादव ने कहा एक सशक्त निर्देशक नाटक को समृद्घ और सशक्त कर सकता है। माहौल बनाना होगा।
रीना जायसवाल ने कहा हमारी ईमानदारी हमारा संगठन हमे सशक्त करेगा । शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक महार्षि ने कहा संस्थाओं को संगठित होना चाहिए। नई प्रतिभाओं को अवसर मिले। रंगमंच से ही डायलॉग डिलीवरी उच्चारण आदि सिखने को मिलता है । निर्देशक अपने आप को एक संगठन मानता है ऐसा नहीं होना चाहिए अच्छे नाटक होंगे तो दर्शक देखने जरूर आएंगे जिस दिन यहां के डॉक्टर पत्रकार वकील आदि लोग नाटक देखने आना शुरू कर दिए तो उसी दिन यहां का नाट्यकर्म आगे बढ़ जाएगा । निशिकांत पांडेय ने कहा रंगमंच को लोक से जोड़े। सशक्त एवं मनोरंजक प्रस्तुतीकरण हो। एक पत्रिका का प्रकाशन होना चाहिये। जो नाटक करते हैं वही नाटक को पढ़ते हैं नाटक करने के साथ-साथ पढ़ना भी जरूरी है नाटक लोगों से जुड़ा हुआ हो । अजित प्रताप सिंह ने कहा रंगमंच के प्रति हमारा कमिटमेंट कब नजर आयेगा? रंगकर्मियों की बुनियादी जरूरतों के लिये सोचना होगा । आगे उन्होंने एक सवाल खड़ा किया कि कब तक करेंगे नाटक क्या है इसका भविष्य नाटक कर हम मां बाप की डांट क्यों सुने रंगमंच हमें क्या दिया भूखे भजन न होय गोपाला का उदाहरण देकर उन्होंने अपनी बात समाप्त की । रवींद्र रंगधर ने कहा रंगमंच से फिल्म की तरफ जाने मे कोई बुराई नही है। रंगमंच अभिनेताओं की जननी है उसे मत भूलो जिसने आपको जनम दिया उसको भुलाकर आपका क्या अस्तित्व होगा ? भारत भूषण ने कहा रंगमंच के लिए दीवानगी की आवश्यकता है। आज हमारे रंगमंच के सामने अनेको चुनौतीयां है उन चुनौतियों से निपटने के लिये हमे अपनी सोच को व्यापक बनाना पड़ेगा। अतिथि के रुप में आए भोजपुरी फिल्म के हास्य अभिनेता मनोज सिंह टाइगर उर्फ बताशा चाचा ने कहा हमे अपना प्रॉडक्ट दमदार बनाना होगा। अगर प्रॉडक्ट दमदार होगा तो महंगा खरीदार मिलेगा। हम अपनी सारी युक्ति प्रस्तुति को सशक्त बनाने मे लगाएं। प्रस्तुतीकरण सशक्त होगी तो पैसा भी आएगा और लोकप्रियता मे भी वृद्धि होगी। नाटक बिना शुल्क के मत दिखाया जाए भले ही ₹ 10/- का शुल्क हो । अभिनय का ना डेफिनेट परिभाषा बना है और ना बनेगा रंगमंच को शिर्डी के तरह को इस्तेमाल करेगा तो वह नगर का रहेगा और ना घाट का यह सोच कर के रंगमंच में कोई ना आवे की यहां से सीख कर हमें फिल्म उतर जाना है उसके बाद रंगमंच को भूल जाना है ऐसे लोग कभी आगे नहीं बढ़ेंगे आगे श्री टाइगर ने कहा अभिनेता के रूप में हमें भी अभी 90 प्रतिशत सीखना है अभी हमने 10 प्रतिशत अभिनय ही सीखा है । संचालन कर रहे हैं युवा वरिष्ठ रंगकर्मी मानवेंद्र त्रिपाठी ने कहा नाटक से पैसा तो लोग चाहते हैं पर नाटक के प्रति समर्पण कोई नहीं चाहता है ।
चर्चा के दौरान देशबंधु, रणंजय, छत्रसाल यादव, अनीस वारसी, उपेंद्र नाथ तिवारी, बेचन सिंह पटेल,अमित पटेल सहित दर्जनों रंगकर्मी उपस्थित रहे ।
रिपोर्ट:बेचन सिंह
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