वेद वेदांग गुरुकुल आश्रम धनपत गंज में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ संपन्न


 हे वीणापाणी ब्राह्मणी, श्वेत वस्त्रों को धारे हैं।

कलम में धार दे दो मां, सभी तेरे सहारे हैं।

                             -सिद्धि मिश्रा


कभी उदासी छाई होगी कभी पांव में छाले होगें। 

जीत हमेशा उन्हें मिलेगी जो ये सहने वाले होगें।।

-कुलदीप पांडेय मयंक



धनपतगंज सुलतानपुर। आर्य प्रयास न्यूज़ नेटवर्क। महान शिक्षाविद् , दलितोद्धारक के प्रणेता, जाति पाति विरोधी महान सन्यासी स्वामी श्रद्धानंद जी का बलिदान दिवस  पर वेद वेदांग गुरुकुल आश्रम धनपत गंज में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य अतिथि श्री विश्वनाथ फिल्मस मुंबई के निदेशक श्री धर्मेन्द्र वर्मा जी रहे।

श्री वर्मा ने छुवाछूत, जातिवाद, का विरोध करते हुए आपसी भाईचारे पर बल दिया।

आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारंभ ,,,,,,,,,,,की वाणी वन्दना से हुई

 प्रख्यात कवि पुष्कर सुल्तानपुरी ने कहा कि

कैसे कोसू तुझको क़िस्मत, तुझसे टूटे साज मिले,

कहर टीस नफ़रत में मुझको जीने के अंदाज़ मिले। 

कौन करिश्मा कर देते हो जमीं फलक सब एक किए,

मै भी उड़ सकता हूं मुझको पंख मिले परवाज़ मिले।।

सुना कर खूब तालियां बटोरी।।

कर्म राज शर्मा तुकांत ने पढ़ा कि

चूम तलवार किया माटी का तिलक भाल,

गीदड़ों के सदृश गुजारा नही करते।

कई सन्धि पत्र फाड़ हमने किये हैं युद्ध,

वैरियों को कभी हम दुलारा नही करते।

पूरा पांडाल झूम उठा

प्रतापगढ़ से आए हास्य कवि मंजुल जी ने

अगर प्राइमरी कय मास्टर होय जाइत।

तव बेर सबेर चाहे जब जाइत।।

सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।।

ओज के लवलेश यदुवंशी ने

ये नेता अपने बेटो को गर फौजी बना देंगे,

तो सरहद पर कोई फौजी कभी मारा ना जाएगा।।

सुनाया तो पूरा पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

अभिमन्यु शुक्ला तरंग सुल्तानपुरी ने


शौर्य की पताका कभी झुक नही सकती है।

वीरता की नई कहानी लिखते हैं हम।।


गनपत,रणवीर,सौरभ मनोज जैसे।

वीर शहीदों की निशानी  लिखते हैं हम।।

को सुनाकर माहौल ओज़ पूर्ण कर दिया।

 कवि गवार सुल्तानपुरी ने


देश का तू बचाय के रक्खा,

भाई चारा बनाय के रक्खा।

सारे जज़्बात देशभक्ति कै,

अपने दिल मा सजाय के रक्खा।।

सुनाया।

पीयूष प्रखर ने


पहले जैसा अब जोश कहाँ रहता है। 

कुर्सी मिलने पर होश कहाँ रहता है।। 

ऐ हुकूमत मेरी आवाज़ को सुनना होगा। 

ज़िन्दा आदमी ख़ामोश कहाँ रहता है।। 

सुनाया


कुशीनगर से आए विकास चौरसिया ने

यहाँ हर एक के जख्मों को अब सीना नहीं अच्छा

जहर जो प्यार से दे तो उसे पीना नहीं अच्छा

समझदारी भी होनी चाहिए कुछ काम में अपने

बहुत आसान होकर भी यहाँ जीना नहीं अच्छा।।

लोगो ने खूब सराहा।

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