जलभराव से आवागमन हुआ बाधित
जलभराव से आवागमन हुआ बाधित।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं नगर पंचायत की उदासीनता के चलते श्रद्धालुओं के लिए मंदिर दर्शन के लिए जाना हो रहा है दुर्लभ।
रिपोर्ट वेद प्रकाश तिवारी
मिल्कीपुर अयोध्या। आर्य प्रयास न्यूज़ नेटवर्क।
मिल्कीपुर क्षेत्र स्थित भगवान भोलेनाथ की तपोस्थली महर्षि बामदेव आश्रम तक पहुंच पाना क्षेत्रवासी श्रद्धालुओं सहित आमजन के लिए टेढ़ी खीर बन गया है। कुमारगंज नगर पंचायत के निवासी नारकीय जीवन जीने को विवश हो गए हैं। कुमारगंज बाजार से मंदिर तक जाने वाले मुख्य मार्ग पर जलभराव के चलते अब क्षेत्रवासी लोगों को उनका घर टापू में होने के साथ-साथ श्रद्धालुओं को भी मंदिर कोसों दूर दिख रहा है। मामूली सी बरसात होने के साथ ही टूटी सड़क चलाते में तब्दील हो गई है। बताते चलें कि मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नवसृजित नगर पंचायत कुमारगंज 3 किलोमीटर दूर महर्षि बामदेव का प्राचीन मंदिर स्थित है जहां क्षेत्रवासी श्रद्धालु नियमित रूप से जलाभिषेक एवं पूजन अर्चन करने पहुंचते हैं। कुमारगंज बाजार से मंदिर तक पहुंचने वाला बवा रोड पूरी तरह से जलमग्न हो गया है। बाइक एवं संसाधनों से बैठकर सड़क से न तो पैदल और ना ही बाइक से गुजर सकते हैं लोगों को सड़क से गुजरने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह रोड क्षेत्र की तपोस्थली महर्षि बामदेव आश्रम से होकर अमानीगंज को जाती है। जिससे प्रतिदिन हजारों लोगों का आना जाना होता है। प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्धालु इसी रोड से महर्षि बामदेव आश्रम स्थित प्राचीन शिव मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। जिन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तथा प्रतिदिन दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। नगर पंचायत कुमारगंज के अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार एवं बाजार मालिक विजय कुमार उपाध्याय ने नगर पंचायत की प्रभारी अधिशासी अधिकारी से समस्याया को लेकर शिकायत की तब नगर पंचायत की अधिशासी अधिकारी नींद से जागे और उन्होंने सड़क पर भरे हुए पानी में मिट्टी व ईट भट्टे की राखी डलवा दिया। जिसका परिणाम रहा कि अब पानी के बीच डाली गई मिट्टी जबरदस्त कीचड़ में तब्दील हो गई हो जिसके चलते वाहन से पार करना तो दूर पैदल चलना भी दुश्वार हो गया गया है। स्थानीय विधायक से भी बाजार वासियों ने इस सड़क के सुदृढ़ीकरण के लिए कई बार आग्रह भी किया लेकिन निराशा ही हाथ लगी। साथ ही सड़क के किनारे बसे लोग भी नारकीय जीवन जीने को मजबूर है।
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