अपने टूटे पंख संभालो,उङने का प्रयास करो -मुकेश शुक्ल


 अपने टूटे पंख संभालो,उङने का प्रयास करो -मुकेश शुक्ल

सुल्तानपुर। आर्य प्रयास न्यूज़ नेटवर्क। कवि गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन राममिलन शालिकराम  ज्ञानोदय इंटर कॉलेज बल्दीराय में आयोजित किया गया। जिसमें दूरदराज से आए कवियों ने अपनी रचना प्रस्तुत कर मौजूद श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

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बल्दीराय तहसील अंतर्गत राममिलन शालिकराम  ज्ञानोदय इंटर कॉलेज में कबि गोष्ठी  एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया । जिसमें दूरदराज से आए कवियों ने अपनी कविता पाठ करते हुए  कबि अनिल कुमार वर्मा ,,मधुर,, शीतल निर्मल सा झरकर नित ,आगे को ही बहते जाना ।इस जीवन का है अर्थ यही उन्नति पथ पर चढ़ते जाना पढ़ा तो लोग तालियां बजाने पर मजबूर हो गए।

पीयूष प्रखर ने कविता पाठ करते हुए दूर इतना सफल नहीं होता, इश्क तुमसे अगर नहीं होता, पढ़ा तो लोग ठहाके लगाने पर मजबूर हो गए।

पुष्कर सुल्तानपुरी ने पढ़ा ऊपरवाला बैठा मुझसे ,कैसा कैसा काम लिया, लोगों ने देखा हैरत  से और कलेजा थाम लिया ।तो लोग तालियां बजाने पर मजबूर हो गए।  कुमारगंज से आये कि श्रीकृष्ण द्विवेदी ,,अज्ञान,, पढ़ा ,सत्य सनातन धर्मधुरिन का धर्म के पाठ पढ़ाई गई तुलसी ,मानस राम चरित्रिर गाय के राम का राम  बनाए गए तुलसी। पढ़ा तो लोग ठहाके लगाने पर मजबूर हो थे। गुरु प्रसाद त्रिपाठी ने कविता पाठ करते हुए पड़ा इस जग निष्ठुर की सीता हो घनश्याम शारदा गीता हो। पढ़ा तो लोग स्तंभ रह गए। इंद्रजीत सिंह ,,आर्यक,, ने पढ़ा दौलत भरी पड़ी है संस्कार नहीं है सिर नग्न मां का बेटी के सलवार नहीं है ।पढ़ा तो लोग हंसने पर मजबूर होते। राजस्थान की धरती से पधारे मुकेश शुक्ला राजस्थानी ने कविता पाठ करते हुए पढ़ा की अपने टूटे पंख संभालो उड़ने का प्रयास करो यह जीवन है तीर्थ तुम्हारा जीने का एहसास करो । पढ़ा तो लोग तालियां बजाने पर मजबूर हो गए। रामदुलारे सिंह ,,सुजान,, ने कविता पाठ पढ़ा शब्दों का संसार अलग है इसका अपना सार अलग है जिसको इसने जाना समझा उसका तो व्यापार अलग है। पढ़ा तो लोग हंसने पर मजबूर हो गए। गुजरात की धरती से पधारे महेशचंद्र मिश्र ने पढ़ा एक हाथ में माला लिए जब्ती ,और दूजे से बीड़ा बजा अवति है, धारि आसन बैठकर के  हंस के पीठ पर ज्ञान के दीप जरावति है। कवि कर्मराज शर्मा ,तुकान्त,, ने पढ़ा उनकी हंसी ठिठोली मस्ती दिल को आज रुलाती है अब सावन की गुड़िया उनके बिना मनाई जाती है।    मुकेश शुक्ला राजस्थान व महेश चंद्र मिश्र  को अंग वस्त्र से सम्मानित किया  । इस मौके पर कबि रामदुलारे सिंह सुजान श्री कृष्ण दुबे अज्ञान व इंद्रजीत सिंह आरक्षक ने अपनी प्रकाशित पुस्तकें भी भेंट किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि राम दुलारे सिंह,, सुजान,, ने व संचालन कवि कर्म राज शर्मा तुकांत ने किया। इस मौके पर ओम प्रकाश शुक्ला,रूपेश द्विवेदी, राम राज शर्मा, हंसराज जायसवाल, ओम प्रकाश शुक्ल, सुभाष, रंजीत सिंह, धर्मेंद्र शुक्ला, ज्ञान पांडे ,प्रदीप पांडे ,रंजीत सिंह ,आदि लोग मौजूद रहे।

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