मां बाप के चरणों में चारों धाम - आचार्य अनूप जी महाराज
मां बाप के चरणों में चारों धाम - आचार्य अनूप जी महाराज
रिपोर्ट: वेद प्रकाश तिवारी
मिल्कीपुर अयोध्या। आर्य प्रयास न्यूज़ नेटवर्क।
मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र में संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा पाठ का श्रावण करा रहे आचार्य अनूप बाजपेयी जी महराज ने अपनी वाणी से सभी भक्तों को भाव विभोर कर दिया। मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र के अस्थना गांव में आयोजित संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा का श्रावण करा रहे आचार्य श्री वाजपेई महराज जी ने कहा कि माता ममता की मूर्ति है, पिता परिवार का सहारा, भाई परिवार का प्यार , पत्नी घर की लक्ष्मी, बहन आंगन की परी। पांच सदस्यों का एक छोटा सा सुन्दर परिवार था, जिसमें बूढ़े मां बाप, बेटा, बहु और एक छोटा सा नन्हा बालक जिसकी आयु मात्र 10वर्ष थी । एक दिन बहु ने कहा- अपने पति से मैं मां बाप की सेवा नहीं कर पाऊंगी इन्हें बृद्धाआश्रम रख देते हैं मासिक खर्च देते रहेंगे। पति ने कहा- ये मेरे मां बाप है, हमें बहुत मेहनत से पाला पोषा है , पढ़ाया लिखाया है, कैसे छोड़ दूं। पत्नी के ज़िद के आगे पति लाचार हो गया। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, मां बाप के हाथ पैर कांप रहे थे, घर के बाहर बड़ी सी गाड़ी खड़ी थी, जो उन बृद्धो का इन्तजार कर रही थी।
नौकर चाकर सारे दृश्य को देखकर मन में रो रहे थे। पिता ने कहा बेटा तुम्हारी मां बहुत बूढ़ी है, एक कम्बल तो दे दो ठंड काटने के लिए। बहु ने जैसे सुना दौड़ी दौड़ी गई आलमारी से एक सुन्दर सा कम्बल लायी और देने लगी। दश वर्ष का बालक सब देख रहा था, उसने कहा मां आज हमारे दादा दादी हमें छोड़कर जा रहे हैं और आप कम्बल दे रही है। अगर देना ही है तो आधा कम्बल फाड़ कर दीजिए और आधा मुझे दीजिए। जवान मां बाप ने अपने बेटे से पूछा ऐसा क्यों कह रहे हो बेटा नन्हे से बेटे ने ज़बाब देते हुए कहा-पिता जी जैसे आज आप अपने बूढ़े मां बाप को बृद्धा आश्रम भेज रहे हैं, जब आप बूढ़े हो जायेंगे और मैं आपको भेजूंगा तो ए कम्बल उस समय काम आयेगा। छोटे से बच्चे की बात सुनकर दोनों की आंखें खुल गईं। बूढ़े मां बाप के पैरों पर गिर कर माफी मांगने लगे और घर में ही सेवा करने का संकल्प लिया। इस मौके पर मुख्य यजमान रामबिहारी पाण्डेय, शिवकुमार पाण्डेय, जगदम्बा प्रसाद पाण्डेय, अम्बिका प्रसाद पाण्डेय, विजय बहादुर पाण्डेय, मनीराम, पूरन सहित सैकड़ों ग्रामीण व भक्तगण मौजूद रहे।
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