श्री मद भागवत पुराण कथा मे रुकमिणी विवाह पर झूमे श्वरोता
श्री मद भागवत पुराण कथा मे रुकमिणी विवाह पर झूमे श्वरोता
रिपोर्ट: वेद प्रकाश तिवारी
मिल्कीपुर अयोध्या। आर्य प्रयास न्यूज़ नेटवर्क।
छठे दिन की कथा में रुक्मिणी मंगल महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया, कथा ब्यास आचार्य अनूप बाजपेयी जी महाराज नेअस्थना गांव में रामबिहारी पान्डेय के आयोजित कथा मे कहा कि मैया रुक्मिणी लक्ष्मी स्वरूपा हैं और लक्ष्मी का वरण नारायण ही कर सकते हैं, शिशुपाल नहीं ।
आज तक मैया रुक्मिणी ने भगवान द्वारिका धीश को देखा तक नहीं था ,नारद जी के द्वारा उनके गुणों को सुन कर प्रभु का एक सुन्दर काल्पनिक चित्र बना कर अपने हृदय कमल में विराजमान कर लिया था। मैया रुक्मिणी ने भगवान को सात श्लोकों में एक सुन्दर पत्र लिखा था और उसमें कहा था कि हे अच्युत! कल शिशुपाल बारात लेकर आ रहा है मुझसे विवाह करने के लिए मैंने भी प्रतिज्ञा कर रखा की मेरा पति केवल द्वारिका धीश होंगें ।
अगर आप सही समय पर नहीं आये मुझे लेने तो मैं अपने प्राणों का परित्याग कर दूंगी लेकिन शिशुपाल मेरा पति किसी जन्म मे नही हो सकता ।
सिंह का भाग सियार कभी नहीं पा सकता ऐसे अनेक प्रसंगो को पूज्य महाराज श्री के मुखसे सुनकर कर श्रोता समुदाय आनंद भिभोर हो कर कथा का खूब आनंद लिया ।
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