जीवन जीने की कला सिखाती है भागवत कथा: आलोकानन्द व्यास जी


 जीवन जीने की कला सिखाती है भागवत कथा: आलोकानन्द व्यास जी

रिपोर्ट: देव कुमार पांडेय

अयोध्या। आर्य प्रयास न्यूज़ नेटवर्क। श्रीमद्भागवत कथा बड़े से बड़े पापियों को भी पापमुक्त कर देती है। जो व्यक्ति भागवत कथा आत्मसात कर लेता है, वह सांसारिक दुखों से मुक्त हो जाता है। यह विचार भिटरिया स्थित बाबा रामसनेही घाट मंदिर के ठीक बगल ओम शांति सेवा आश्रम अघोर आश्रम माँ कल्याणी तट पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में  श्री अयोध्या धाम के सुप्रसिद्ध कथा प्रवक्ता पूज्य बाल आलोकानन्द व्यास जी ने बताया कि जीवन में यदि मान, पद या प्रतिष्ठा मिला जाए तो उसे ईश्वर की कृपा मानकर भलाई के कार्य करना चाहिए। उन्होंने महाभारत के कई प्रसंग भी सुनाए। कर्ण और भगवान श्रीकृष्ण के बीच संवाद को बताते हुए उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान जब कर्ण की भगवान कृष्ण से चर्चा हुई तो कर्ण ने कहा कि मृत्यु के बाद ऐसी जगह मेरा दाह संस्कार हो जहां आज तक किसी का नहीं हुआ। भगवान ने उसकी मृत्यु के बाद कर्ण का अंतिम संस्कार अपने हाथों से किया। उन्होंने कहा कि भगवान प्रेम के भूखे हैं।।इस मौके पर मुख्य यजमान अघोरी बाबा गिरी विजय नाथ जी महाराज,गिरी सूरज भारती पुजारी बाबा राम सनेही घाट मंदिर, आशुतोष पाण्डेय,राम किशन यादव,श्याम जी कौशल,दीपचंद्,राहुल साहू,देवेंद्र सिंह,अभियान मिश्रा,पिंटू जयसवाल, विनोद बाबा,लवलेश शुक्ला,मनोज कुमार,गोपाल साहू आदि सैकड़ों भक्तजन उपस्थिति रहे।

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