सार्वजनिक रास्ते पर खड़ंजा निर्माण रोके जाने का मामला पहुंचा सीएम दरबार

 


सार्वजनिक रास्ते पर खड़ंजा निर्माण रोके जाने का मामला पहुंचा सीएम दरबार

रिपोर्ट: वेद प्रकाश तिवारी

मिल्कीपुर, अयोध्या। आर्य प्रयास न्यूज़ नेटवर्क। तहसील क्षेत्र के ग्राम रेवना मजरे पूरे तुलापुर में आम रास्ते पर खड़ंजा निर्माण रोके जाने का मामला मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंच गया है। जिला अधिकारी ने भी मिल्कीपुर तहसीलदार को समस्या के समाधान के लिए निर्देशित किया है। वहीं शिकायतकर्ता ने हल्का लेखपाल व राजस्व निरीक्षक पर दिये गए प्रार्थना पत्रों पर फर्जी आख्या लगाने का आरोप लगाया है।


   ग्राम रेवना निवासी श्रवण कुमार पांडे ने बताया कि ग्राम रेवना के मजरे तुलापुर में गांव के दक्षिण चकमार्ग से निकलकर एक बहुत पुराना सार्वजनिक रास्ता अखिलेश पांडे, अवधेश पांडे, सच्चिदानंद पांडे व सुरेश कुमार तथा कामाख्या प्रसाद के दरवाजे से होते हुए गांव के पश्चिम चकमार्ग के माध्यम से सिंधौरा आहरन सुवंश संपर्क मार्ग से पक्की सड़क में जुड़ा हुआ है। जिस पर गांव के दक्षिण चकमार्ग से अखिलेश पांडे व अवधेश पांडे के दरवाजे तक पहले से ही खड़ंजा लगा हुआ है। गांव के पश्चिम कामाख्या पांडे के दरवाजे से पक्की सड़क तक मुख्यमंत्री त्वरित विकास योजना के तहत खड़ंजे का निर्माण कार्य चल रहा है। बीच में अवधेश पांडे के दरवाजे से कामाख्या प्रसाद के दरवाजे तक जिसकी दूरी लगभग 25-30 मीटर है। इस रास्ते को निर्माण से वंचित किया जा रहा है। शिकायतकर्ता ने बताया कि गांव के एक दबंग व्यक्ति इस मार्ग पर खड़ंजा लगने से मना कर रहे हैं। जिससे यह सार्वजनिक रास्ता पूर्ण रूप से बाधित होता नजर आ रहा है। मौजूदा समय में 500 मीटर दूरी से लग रहे खड़ंजे का लाभ मात्र एक ही व्यक्ति को मिलेगा। शिकायतकर्ता ने बताया कि इस समस्या को जेई सहित उच्च अधिकारियों को बताया गया है। उन्होंने बताया कि यदि बचे हुए रास्ते पर खड़ंजे का निर्माण कार्य ना हुआ तो यह सार्वजनिक रास्ता पूर्ण रूप से बाधित रहेगा। 

   पीड़ित ग्रामवासी ने इस बात का शिकायती पत्र मुख्यमंत्री को भी भेजा है। यही नहीं इस मामले में डीएम ने तहसीलदार मिल्कीपुर को परीक्षण उपरांत आवश्यक कार्यवाही कर समस्या का समाधान कराते हुए आख्या प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है। इसके बावजूद अभी तक मामला जस का तस पड़ा हुआ है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि हल्का लेखपाल और राजस्व निरीक्षक मामले को उलझा रहे हैं और शिकायती प्रार्थना पत्रों पर गलत आख्या लगा कर वापस कर देते हैं।

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