रामायण कालीन महर्षि बामदेव तपोस्थली पर 10 दिवसीय मेला शुरू, बड़ी संख्या में मेले में पहुंचते हैं लोग करते हैं खरीदारी
रामायण कालीन महर्षि बामदेव तपोस्थली पर 10 दिवसीय मेला शुरू, बड़ी संख्या में मेले में पहुंचते हैं लोग करते हैं खरीदारी।
वेद प्रकाश तिवारी
मिल्कीपुर, अयोध्या। आर्य प्रयास न्यूज नेटवर्क। अयोध्या जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर दक्षिण ओर तहसील मिल्कीपुर क्षेत्र के नवसृजित नगर पंचायत कुमारगंज स्थित महर्षि बामदेव तपोस्थली पर भादो की पंचमी तिथि से हजारों वर्षों से लगने वाले 10 दिवसीय ऐतिहासिक मेले की तैयारियां हुई पूरी आज से मेला होगा शुरू ।
मेले में देश के विभिन्न प्रदेशों से दुकाने मेले का आकर्षण होती है तथा लकड़ी के फर्नीचर के लिए मशहूर इस मेले में दूरदराज से लोग सामान की खरीदारी करने आते हैं। मेला प्रबंधक समिति द्वारा मेला व्यवस्था के लिए सुरक्षा वॉलिटियर तथा प्रशासन द्वारा भारी पुलिस व्यवस्था भी रहती है।
किमदन्तियों के अनुसार महर्षि बामदेव तपोस्थली
तपोस्थली के महंत शिवराम दास के गुरु के अनुसार अयोध्या धाम के राजा दशरथ के छोटे पुत्र भरत का मुंडन संस्कार इसी तपोस्थली पर हुआ था जहां 51 बीघे में स्थित हरि सागर की सात सीढ़ियां भी सोने की हुआ करती थी, वर्तमान में प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी अमृत सरोवर योजना के तहत इस सरोवर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।
यही नहीं राजा दशरथ के बड़े पुत्र श्री रामचंद्र की शिक्षा दीक्षा भी इसी आश्रम में हुई थी।
वेद पुराणों व रामचरितमानस में भी महर्षि बामदेव तपोस्थली का वर्णन मिलता है। आदि काल से भगवान शंकर का शिवलिंग आज भी विद्यमान है, आश्रम के चारों ओर स्थित वटवृक्ष इसके गवाह हैं।
महंत शिवराम दास बताते हैं कि मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान बड़ी संख्या में प्राचीन मूर्तियां एवं शिलालेख मिले हैं, जिनको आज भी सुरक्षित रखा गया है उस पर भी भक्त पूजा पाठ/ जलाअभिषेक करते हैं।
आश्रम के पुजारी राजू पंडित ने बताया कि इस आश्रम पर पड़ोसी जनपदों समेत अन्य प्रदेशों से लोग दर्शन पूजन करने आते हैं इस स्थल पर पूजा अर्चना करने से हर भक्त की भगवान शिव मनोकामना
पूर्ण करते हैं। प्रतिदिन बड़ी संख्या में भगवान शिव के भक्त पहुंचकर पूजा अर्चना करने के साथ-साथ जलाभिषेक भी करते हैं।
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