नहीं रहे मनबढ़ व बड़मनया के लेखक ओमप्रकाश बच्चा

 


नहीं रहे मनबढ़ व बड़मनया के लेखक ओमप्रकाश बच्चा


ओमप्रकाश बच्चा का जाना भोजपुरी साहित्य व रंगकर्मियों के लिए अपूरणीय क्षति

रिपोर्ट: बेचन सिंह

    गोरखपुर। आर्य प्रयास न्यूज़ नेटवर्क । जनपद के जाने माने रंगकर्मी, भोजपुरी लेखक,नौटंकी में महारथ,नब्बे के दशक में  गोरखपुर दूरदर्शन से प्रसारित होने वाले देश का पहला हास्य भोजपुरी सीरियल "मनबढ़" के लेखक आदरणीय "ओम प्रकाश श्रीवास्तव "बच्चा" का आज दिनांक 17-8-2022 बुद्धवार को ललित नारायण रेलवे अस्पताल में 11.00 बजे सुबह स्वर्गवास हो गया । कला क्षेत्र के लिए एक अपूर्णीय क्षति है जिस स्थान को कभी पूरा नहीं किया जा सकता है । ईश्वर उनकी  पूण्यात्मा को शांति एवं उनके शोक संतप्त परिवार को असमय वेदना को सहन करने की शक्ति प्रदान करें ।

       भोजपुरी में माटी से जुड़ी बातों को बखूबी जानते थे । हर गंभीर विषय को हास्य के जरिए प्रस्तुत कर देते थे । भोजपुरी में उनकी अच्छी पकड़ थी उनके द्वारा रचित मूरख मरद,बड़मनया नौटंकी मशहूर था । रंगकर्मी प्रदीप जायसवाल और बेचन सिंह ने कहा अभी उनसे रविवार को मुलाकात हुई थी और जितनी देर बैठे थे ओ नाटक ,कहानी,अभिनय पर ही चर्चा कर रहे थे बीच मे भाउक भी हुए जैसे उनको अंदेशा हो गया था कि बहुत जल्द बुलावा आने वाला है इस पर हम सभी लोग समझाए भी कि ए सब नहीं सोचा जाता है । रंगकर्मी मानवेंद्र त्रिपाठी ने कहा हम लोग उन्हें बच्चा भैया कहते थे । हृदय से भी बच्चे के समान सरल निश्चल हंसमुख व्यक्तित्व । बाबू बाबू कह कर सबको बुलाते थे । गीत संगीत उनकी आत्मा में बसा हुआ था । नौटंकी शैली की एक महारत हासिल थी । बहुत कुछ करने की कोशिश लगातार उनके अंदर बनी रही । लंबी बीमारी से लड़ते जूझते रहे । अध्यात्म उनके रग-रग में बसा हुआ था । बैठे-बैठे गीतों का निर्माण कर देते थे । अद्भुत प्रतिभा के धनी थे बच्चा भैया । गोरखपुर दूरदर्शन के लिए मनबढ़ सीरियल एक कालजई प्रस्तुति है । ऐसे लोगों का नश्वर शरीर हमसे दूर होता है मगर ताउम्र वह यादों में जीवित रहते हैं । ईश्वर उनको अपने चरणों में स्थान दे। आगे क्या बोलूं। कभी-कभी शब्द भी मौन हो जाते हैं । रंगकर्मी विवेक श्रीवास्तव ने कहा अभी हाल ही में उनके द्वारा लिखित नौटंकी "मूरख मरद" का मंचन किया जो काफी प्रभावशाली रहा लोगों ने इसे बहुत पसंद किया आगे भी उनके द्वारा लिखित नौटंकी करने का विचार बन रहा था वह अपनी और रचनाओं को देने के लिए तैयार थे लेकिन बीच में ही यह दुखद घटना घट गया जो दर्शक एक अच्छी और नई प्रस्तुति देखने से वंचित रह गए । शहर के कला जगत से जुड़े सभी रंगकर्मी कलाकारों जिसमें रविंद्र रंगघर,अरून श्रीवास्तव, प्रदीप सुविज्ञ, सुनील जायसवाल, नवनीत जायसवाल, सुरेश अकेला, देशबंधु, श्रीनारायण पांडेय,मुकेश प्रधान,राजेश पांडेय, प्रदीप मिश्रा, राजेश राज, पीयूष, मोहन आनंद आजाद, गिरजेश दुबे, गुलाम हसन खान, पानमती शर्मा, राधेश्याम गुप्ता, अशोक महर्षि, आसिफ जहीर, अजीत प्रताप सिंह आदि कलाकारों ने दुख प्रकट किया है ।

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