श्री कृष्ण को नमन करने वाले को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है-बाल संत मयंक जी वेदान्ती
श्री कृष्ण को नमन करने वाले को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है-बाल संत मयंक जी वेदान्ती
बल्दीराय। आर्य प्रयास न्यूज नेटवर्क।दशाश्वमेध यज्ञ कराने वाले का मृत्यु लोक में पुनर्जन्म सम्भव है परंतु भगवान श्रीकृष्ण को जो हृदय से एक बार प्रणाम करता है।उसे पुनर्जन्म के चक्कर से मुक्ति मिल जाती है।उक्त बातें ग्राम सभा सिधौना के खदरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के आखिरी दिन कथा व्यास बाल संत मयंक जी महाराज वेदान्ती अयोध्याधाम ने कही।आज कथा के आखिरी दिन कथा व्यास ने रुकमणी बलराम विवाह,श्री कृष्ण द्वारा द्वारिकापुरी के निर्माण,जरासंध बध की कथा का सुंदर वर्णन किया।पुण्य की समाप्ति पर व्यक्ति का मृत्यु लोक में आगमन होता है।
जो प्रसन्न मन दान करता है,सत्य व मधुर बोलता है,देवगणों का पूजन करता है व गरीबो को प्रेम से भोजन करता हो वह निश्चय ही स्वर्ग का अधिकारी होता है।जो कंजूस हो,असत्य बोलने वाला हो,स्वजनों की निंदा करने वाला हो और कुसंगति करता हो,वाणी में मधुरता न हो वह व्यक्ति नरक का भोग करता है।पुत्री के विवाह के समय पिता को कुल,विद्या,आयु,उद्यमी,धाम सहित सात बातों का ध्यान रखना चाहिए।
कथा के अंतिम दिवस भगवान की लीलाओं का गुणगान करते हुए परीक्षित मोक्ष की कथा के साथ कथा का समापन किया।मुख्य यजमान शेर बहादुर सिंह व शीला सिंह ने व्यास पीठ की आरती उतार कर जगत मंगल की कामना की।इस मौके पर अनुपम सिंह,रज्जन सिंह,नेता बैजनाथ बैश्य, महेंद्र सिंह प्रधान,सूर्य नारायण सिंह,काशी राम रस्तोगी, अमर नाथ तिवारी,प्रेम शंकर सिंह,पंडित जगन्नाथ मिश्र,सहित तमाम श्रोतागण मौजूद रहे।पुरोहित आचार्य माता बदल पांडेय ने विधि विधान से पूजन अर्चन सम्पन्न कराया।
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