पसमांदा हिन्दुओं का धर्म परिवर्तित दलित समाज है : प्रो. चौथीराम यादव
गोरखपुर। आर्य प्रयास न्यूज नेटवर्क । प्रायः यह मान लिया जाता है की विज्ञान कथा में विज्ञान की बातें ही होंगी जो सही नहीं है l विज्ञान कथा विज्ञान के उस श्वेत और श्याम पक्ष को उजागर करने का सशक्त माध्यम है जो समाज को प्रभावित करता है , व्यक्ति के जीवन के आयाम को बदलता है l भारत में विज्ञान कथा नवीन विधा नहीं है, पर इस पर काम कम हुआ है l इस पर जयदा काम मेट्रोपालटन सिटीज में हुआ l और जब गोरखपुर जैसे शहर से कोई अमित कुमार जैसा लेखक विज्ञान कथा लिखता है तो इसे सुखद और उत्साहपूर्ण रूप में लिया जाना चाहिए क्योकि ये विज्ञान कथा साहित्य को एक दिशा देते हुए समृद्ध करेगा, कम से कम मेरा ऐसा विश्वास है l उनकी लोकर्पित पुस्तक 'एन अनटैंगिल्ड मिस्ट्री' में कुल 11 कथाएँ हैं जिसमें इतने शेड्स हैं, की ये पढ़े जाने के लिए हमें बाध्य करती हैं l ये बातें गोरखपुर विश्विध्यलय के अंग्रेजी विभाग के विभाध्यक्ष प्रो0 गौर हरि बोहरा ने आयाम के 'दलित, पसमांदा एवं बहुजन: साहित्य और समाज का सच' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के तीसरे सत्र में कथाकार अमित कुमार के लोकार्पण के अवसर पर कही l
प्रो चौथीराम यादव ने कहा की लेखक होना बड़ी बात है, बड़ा लेखक होना और बड़ी बात है, लेकिन किसी लेखक का बड़ा मनुष्य होना सबसे बड़ी बात है और एक लेखक की लिखी किताब से मैं ये बात कह सकता हूँ की इस विज्ञान कथा संग्रह एक बड़ा लेखक और बेहतर मनुष्य ने लिखा है l
चौथे सत्र की अध्यक्षता करते हुए फैयाज़ अहमद फ़ैज़ी ने कहा की इस्लाम धर्म में जातियाँ नहीं है यह बार बार कहा जा सकता है लेकिन सच यह है की इस्लाम में भी जातियाँ हैं, और इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं l इस्लाम की किताबों में भी जातियाँ और नस्लें हैं l हम दूर ना जाये इसी पूर्वांचल में मुसलमान नटो के, धोबियों के, जुलाहों के अलग मस्जिद हैं कियोकि अगड़े मुसलमानो के मस्जिदों में वे जा नहीं सकतें हैं l
इसी सत्र में वी आर विप्लवी ने कहा की जाति और धर्म एक दूसरे के अनुसंगिक हैं l डॉ अंबेडकर ने कहा है की सामाजिक लोकतंत्र के बिना राजनैतिक लोकतंत्र स्थापित नहीं की जा सकती हैं l और इसलिए ये ज़रूरी हो जाता है की हम समाज को में लोकतंत्र लाने के लिए लगें l
इस सत्र में प्रो कमलेश वर्मा, डॉ सिधार्थ, असीम सत्यदेव ने भी बात रखीं l
पाँचवे सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो बजरंग बिहारी तिवारी ने कहा की दलित आंदोलन फुले और अंबेडकर के वैचारिकी से आया, दलित राजनीति और दलित साहित्य के रास्ते अलग हैं, इसलिए इसपर काम करते हुए, इस पर चलते हुवे इस पर ध्यान रखना ज़रूरी है की हमें किस रास्ते पर चलते हुए समाज का काम करना है l
इस सत्र में मनोज सिंह, इमामुदीन, श्रीधर मिस्र ने भी बात रखी l
कार्यक्रम का संचालन अजय सिंह ने किया l इस अवसर पर मदन मोहन, राजा राम चौधरी, अशोक चौधरी, नित्यानंद अगरवाल्, अरविंद त्रिपाठी,मोहन आनन्द आजाद आदि उपस्थिति रहे l धन्यवाद ज्ञापन देवेंद्र आर्य ने किया ।
पसमांदा समाज का अधिकांश हिस्सा हिन्दू समाज का धर्म परिवर्तन करने वाले दलित- पिछड़ों से ही मिल कर बना है. पसमांदा समाज के साथ सबसे बड़ी साजिश यह हुई कि उनका धर्म तो परिवर्तित हुआ मगर पेशा नहीं. इस कारण पेशेगत जो अवमानना उन्हें हिन्दू समाज में रहते झेलनी पड़ीं, वही मुस्लिम समाज का हिस्सा बनने के बाद भी वे झेल रहे हैं.
उपरोक्त बातें प्रोफेसर चौथीराम यादव ने 'आयाम' द्वारा प्रेस क्लब में आयोजित दो दिवसीय सेमीनार में अपने उद्धाटन भाषण में कहीं. गोरखपुर की विमर्श केन्द्रित संस्था 'आयाम' द्वारा इस सेमीनार का आयोजन दलित, पसमांदा और बहुजन के साहित्य सामाजिक सच विषय पर किया गया है जिसका आज पहला दिन था. विमर्श में हिस्सा लेते हुए वाराणसी से पधारे प्रोफेसर कमलेश वर्मा ने जाति के जमात बनने के ख़तरों की चर्चा की. आजमगढ़ से आई पसमांदा ऐक्टिविस्ट सबीहा अंसारी ने मुस्लिम समाज में जातिवाद पर अपने विचार रखते हुए पसमांदा शब्द और समाज की विस्तृत चर्चा की. डा. सिद्धार्थ ने हिन्दू समाज के ब्राह्मणवाद की उत्तेजक चर्चा की. आलोचक मैनेजर पाण्डेय की स्मृति को समर्पित इस आयोजन के प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध दलित विचारक एवं ग़ज़लगो बी. आर. विप्लवी ने की.
समारोह की शुरुआत में प्रोफेसर चित्तरंजन मिश्र ने मैनेजर पाण्डेय के आलोचकों अवदान की विस्तार से चर्चा की. इस सत्र का संचालन युवा कथाकार अमित कुमार ने किया.
पसमंदा समाज के जयदातर लोग कनवेर्टेड हिंदू समाज के दलित और पिछड़े रहे हैंं l पसमांदा समाज के साथ सबसे बड़ी साजिश यह की गयी की वे हिंदू समाज में जो पेशा करते थे वे मुस्लिम धर्म स्वीकार करने के बाद वही पेशा करते हैं l उनके सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया l ये बातें प्रो चौथी राम यादव ने कही l वे आयाम गोरखपुर द्वारा 'दलित, पसमंदा एवं बहुजन : साहित्य और समाज का सच ' विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे l
आजमगढ़ से पसमांदा समाज के बीच की एक्विस्ट साबिहा अंसारी ने कहा की पसमांदा फ़ारसी शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ पीछे छूट गया या जो पीछे छूट गये हैं l उन्होंने कहा की मुस्लिम समाज के सिद्धांत में तो भेद नहीं है पर वैवहार में यहाँ भी जातियाँ हैं और जातियाँ की विद्रूप सच्चाईयाँ भी हैं l
दिल्ली से आये डॉ सिद्धार्थ ने कहा की दलित साहित्य प्रतिशोध का साहित्य है, भारतीय समाज के निर्माण का साहित्य है और इसी साहित्य ने दलितों के आंदोलन को धार दिया l पसमांदा समाज का भी साहित्य पर काम करना होगा, साहित्य को खोजना होगा उसे धार देना होगा ताकि वो पसमांदा समाज को धार दे सके l
प्रो कमलेश वर्मा ने कहा की जाति के सवाल पर हिंदू समाज और मुस्लिम समाज अलग अलग तरह से विचार और वैवहार करता है l हिंदू समाज में तो जाति के सवाल को मुखरता से उठाया है पर मुस्लिम समाज जाति के प्रश्न पर मौन है l उन्होंने कहा की यह पूरा आयोजन जाति के प्रशन को लेकर है l
कार्यक्रम के पूर्व आयोजन की
प्रसतावन देवेंद्र आर्य ने रखी l कार्यक्रम को प्रो मैनेजर पांडेय की स्मृति को समर्पित किया गया l कार्यक्रम के पूर्व प्रो चितरंजन मिश्र ने प्रो मैनेजर पांडेय के चित्र पर माला पहना कर क्षद्धांजलि अर्पित की l क्षद्धांजली वक्तव देते हुए कहा की प्रो मैनेजर पांडेय ने आलोचना का के नये मानदंड दिया l विवेकपूर्ण सहमति और साहसपूर्ण विरोध का आलोचनात्मक तरीका बताया l
दूसरे सत्र में बीज वक्तव्य देते डॉ अलख निरंजन में कहा की भारत में कोई भी निर्णायक सामाजिक परिवर्तन की लडाई दलित या पिछड़ो के नेतृत्व के बिना नहीं लडी जा सकती है l उन्होंने कहा की पसमादा समाज को भी अपने समाज से ही नेतृत्व निकाल कर लडाई लड़नी होगी l
शामशाद अहमद मंसूरी ने पसमादा समाज के पिछडेपन के कारणो पर सविस्तार चर्चा किया l
अमर उजाला के संपादक अरुण आदित्य ने कहा की पसमादा समाज पर साहित्य को खोज कर सामने लाने की ज़रूरत है l ताकि समस्या को समझते हुए समाधान की ओर बढ़ा जा सके l
प्रथम सत्र का संचालन अमित कुमार एवं दूसरे सत्र का संचालन अजय सिंह ने किया l
कार्यक्रम में इमामूदीन, असीम सत्यदेव, प्रमोद कुमार ने हस्तक्षेप के अंतर्गत अपनी बात रखी l इस अवसर पर सूरज भारती, मोहन आनंद आज़ाद, राजा राम चौधरी, संजय आर्य, सहित कई लेखक पत्रकार उपस्थिति थे l
Comments
Post a Comment