करुणाकर के करुणानिधि रोए- गजानंद शास्त्री

 


करुणाकर के करुणानिधि रोए- गजानंद शास्त्री 

रिपोर्ट: राहुल मिश्र 

सुलतानपुर। आर्य प्रयास न्यूज नेटवर्क।बल्दीराय उमरा गांव में श्रीमद भागवत कथा में व्यास जी ने कहा भगवान श्रीकृष्ण, अपने मित्र सुदामा से मिल कर इतने रोए कि उन्होंने अश्रुओं से ही सुदामा के चरण धो दिए। इस कथा को श्रवण करके श्रोताओं के नेत्र सजल हो गए। 

श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन श्रीकृष्ण भक्त एवं बाल सखा सुदामा के चरित्र का वर्णन किया गया। भागवत वक्ता परम पूज्य स्वामी गजानंद शास्त्री जी महाराज ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि 'स्व दामा यस्य स: सुदामा' अर्थात अपनी इंद्रियों का जो दमन कर ले वही सुदामा है। उन्होंने कहा श्री कृष्ण भक्त वत्सल हैं, सभी के दिलों में विहार करते हैं। जरूरत है तो सिर्फ शुद्ध ह्रदय से उन्हें पहचानने की। कृष्ण एवं सुदामा के मिलन की झांकी का दृष्य देख श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। महाराज ने सुनाया-


देख सुदामा की दीन दशा, करुणाकरके करुणानिधि रोए।

पानी परात कौ हाथ लिओ नहीं, नैनन के जल सौं पग धोए।।


महाराज ने बताया कि, गृहस्थ जीवन में मनुष्य तनाव में व संत सद्भाव में जीता है। यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ। संतोष सबसे बड़ा धन है। सुदामा ने अपने जीवन में संतोष को धारण किया था। अभावों में भी उनके जीवन में सद् भाव था, उल्लास था, यही वजह है कि उन्हें भगवान मिले, मित्र के रूप में। उनके चरित्र से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। परीक्षित श्री प्रताप बहादुर सिंह, दिग्विजय सिंह, दिलीप सिंह, दीपक सिंह, सतेन्द्र सिंह जगदीश दूबे, हिमांशु तिवारी शशि भूषण शुक्ल पण्डित सीताराम मिश्र जी ने वैदिक मंत्रों से आरती उतारी।

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