भागवत कथा श्रवण करने वालों का सदैव होता है कल्याण- स्वामी गजानंद शास्त्री

 


भागवत कथा श्रवण करने वालों का सदैव होता है कल्याण- स्वामी गजानंद शास्त्री

रिपोर्ट: राहुल मिश्र 

सुलतानपुर। आर्य प्रयास न्यूज नेटवर्क।बल्दीराय के उमरा गांव में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस पर श्री धाम अयोध्या से पधारे स्वामी गजानंद शास्त्री जी महाराज कथा में अमर कथा और शुकदेवजी के जन्म का वृतांत का विस्तार से वर्णन किया गया। कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि आप सब पर ठाकुर जी की कृपा है। जिसकी वजह से आप आज कथा का आनंद ले रहे है। श्रीमद भगवत कथा का रसपान कर पा रहें हैं क्योंकि जिन्हें गोविन्द प्रदान करते है जितना प्रदान करते है उसे उतना ही मिलता है। कथा में यह भी बताया की अगर आप भागवत कथा सुनकर कुछ पाना चाहते हैं, कुछ सीखना चाहते है तो कथा में प्यासे बन कर आए, कुछ सीखने के उद्देश्य से, कुछ पाने के उद्देश्य से आएं, तो ये भागवत कथा जरूर आपको कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ देगी। क्योंकि ये कल्पवृक्ष है। सभी कामनाओं को देने वाली है। मनुष्य का जीवन पाकर सांसारिक भोग में नही कृष्णभक्ति में बिताएं ।मनुष्य जीवन विषय वस्तु को भोगने के लिए नहीं मिला है, लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति को छोड़ विषय वस्तु को भोगने में लगा हुआ है। उसका सारा ध्यान संसारिक विषयों को भोगने में ही लगा हुआ है। मानव जीवन का उद्देश्य कृष्ण प्राप्ति शाश्वत है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन का उद्देश्य कृष्ण को पाकर ही जीवन छोड़ना है और अगर हम ये दृढ़ निश्चय कर लेंगे कि हमें जीवन में कृष्ण को पाना ही है तो हमारे लिए इससे प्रभु से बढ़कर कोई और सुख, संपत्ति या सम्पदा नहीं है। ये भागवत कथा श्रवण करने वालों का सदैव कल्याण करती है

भगवत कथा के समय स्वयं श्रीकृष्ण आपसे मिलने आए हैं। जो भी भक्त भागवत के तट पर आकर विराजमान हो जाता है, भागवत उसका सदैव कल्याण करती है। उन्होंने कहा कि बिना जाति और बिना मजहब देखे इनसे आप जो मांगे ये आपको वो मनवांछित फल देती है और अगर कोई कुछ न मांगे तो उसे मोक्ष परियन्त तक की यात्रा कराती है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

मुख्य यजमान श्री प्रताप बहादुर सिंह जी व दिनेश सिंह, दिग्विजय सिंह, दिलीप सिंह, दीपक सिंह, स्वतंत्र प्रताप सिंह, उमेश सिंह, गुरु शरण सिंह नक्कू चौरसिया हिमांशु तिवारी, शशि भूषण शुक्ला, व सीताराम मिश्रा आदि मौजूद रहे

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