जिद हो तो, कोई मंजिल दूर नहीं, मेहनत में छिपी है, सफलता की कुंजी

 


जिद हो तो, कोई मंजिल दूर नहीं, 
मेहनत में छिपी है, सफलता की कुंजी 

रिपोर्ट: राहुल मिश्र 

गुप्तारगंज-सुलतानपुर। आर्य प्रयास न्यूज नेटवर्क। आज बढ़ रही कमर तोड़ मंहगाई और बेरोजगारी के चलते युवाओं में काफी हताशा व निराशा अस्पस्ट रूप से झलकती देखी जा सकती है। फिर भी समाज में जो मजबूत जज्बा रखने वाले युवा हैं, वे अपनी कड़ी मेहनत व लगन के चलते अपनी मंजिल पा ही लेते हैं। किसी ने कहा है मेहनत में ही सफलता की कुंजी छिपी रहती है। अगर इरादा पक्का हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं हो सकती। बानगी के तौर पर विकास खंड कूरेभार के समाचार पत्र वितरक राम उजागिर भारती (58) निवासी सिद्धिगनेशपुर को देखा जा सकता है। जो युवा अवस्था में मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। लेकिन वद किस्मती से 28 वर्ष की उम्र में गेहूं मड़ाई के दौरान थ्रेसर में उनका दाहिना हाथ कट गया और बेरोजगार हो कर असहायों की तरह घर बैठ गए, जिससे उनके घर की माली हालत खराब होने लगी, और उनकी चिंता बढ़ने लगी। उन्होंने परिवार का भरण पोषण करने के लिए साइकिल की दुकान खोलने के साथ साथ इंडिया मार्का हैंडपंप बनाने का कार्य पांच वर्षों तक किया। लेकिन परिवार का खर्च न चलने के चलते आखिरकार उन्होंने समाचार पत्र वितरक का काम शुरू कर दिया। एक हाथ न होने के बावजूद भी समाचार वितरक रामउजागिर भारती बीस वर्षो से साइकिल चलाकर लगातार अखबार वितरित कर रहे हैं। इस बावत बात करने पर उन्होंने बताया हाथ कटने के बाद मैं पूरी तरह से निराशा में डूब गया। धीरे धीरे हमने हिम्मत जुटा कर अखबार वितरित करने का फैसला कर लिया, और तब से मैं लगातार अखबार वितरित कर रहा हूँ। इसी व्यवसाय से मैंने अपने परिवार का भरण पोषण करते हुए दो बेटों व एक बेटी को पढ़ा लिखा कर उनका शादी व्याह भी कर दिया। हला सरकार या किसी संस्थान से अभी तक मुझे कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाया है।

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