किसानों के लिए अलर्ट, आलू की फसल में पछेती झुलसा बीमारी लगने की संभावना, निपटने के लिए किसान रहे सावधान
किसानों के लिए अलर्ट, आलू की फसल में पछेती झुलसा बीमारी लगने की संभावना, निपटने के लिए किसान रहे सावधान
मिल्कीपुर अयोध्या। आर्य प्रयास न्यूज नेटवर्क
रिपोर्ट:- वेद प्रकाश तिवारी
तापमान गिरने और लगातार मौसम में बदलाव से इस समय आलू की फसल में कई तरह के रोग लगने की संभावना बनी रहती है। अगर समय रहते इसका प्रबंधन न किया गया तो पछेती आलू की खेती करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज के सब्जी विज्ञान विभाग के विभागध्यक्ष डॉ सी एन राम ने भास्कर को बताया कि मौसम की अनुकूलता के आधार पर संस्थान द्वारा विकसित इन्डों-ब्लाइटकास्ट (पैन इंडिया मॉडल) से पछेती झुलसा बीमारी का पूर्वानुमान लगाया गया है, जिसके अनुसार आलू की फसल में पछेती झुलसा बीमारी के आने की सम्भावना है।
डॉ सी एन राम ने बताया कि जिन किसानों की आलू की फसल में अभी तक फफूंदनाशक दवा का पर्णीय छिड़काव नहीं किया है या जिनकी आलू की फसल में अभी पछेती झुलसा की बीमारी प्रकट नहीं हुई है, उन सभी किसान को यह सलाह दी जाती है कि वे मैन्कोजेब, प्रोपीनेब, क्लोरोथेलॉनील युक्त फफूंदनाशक दवा का रोग सुगाही किस्मों पर 0.2-0.25 प्रतिशत की दर से अर्थात् 2.0-2.5 किलोग्राम दवा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर छिड़काव तुरन्त करें।
साथ ही साथ यह भी बताया है कि जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी हो उनमें किसी भी फफूंदनाशक साईमोक्सेनिल+मैन्कोजेब का 3.0 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा फेनॉमिडोन+मैन्कोजेब का 3.0 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा डाईमेथोमार्फ+मैन्कोजेब का 3.0 किग्रा. प्रति हैक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से छिड़काव करें। फफूंदनाशक का छिड़काव किसान 10 दिन के अन्तराल पर दोहराया जा सकता है। लेकिन बीमारी की तीव्रता के आधार पर इस अन्तराल को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। किसानों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा, कि एक ही फफूंदनाशक का बार-बार छिड़काव ना करें। फफूंदनाशक के साथ स्टिकर (0.1%) का इस्तेमाल अवश्य करे। दवा का छिड़काव करते समय मशीन की नाजिल फसल के नीचे की तरफ से ऊपर की तरफ करके छिड़काव करें जिससे पौधे पर फफूंंनाशक अच्छी तरह पड़ जाए।
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