"अभिव्यक्ति' नये कारखाने के अच्छे अवसर" -- डॉ. रामदरश राय


 "अभिव्यक्ति' नई इमारतों के महान अवसर" -- डॉ. रामदरश राय 

रिपोर्ट:बेचन सिंह 

गोरख. आर्य प्रयास न्यूज़ नेटवर्क । अभिव्यक्ति 'साहित्यिक-सांस्कृतिक' संस्था की दूसरी विचारगोष्ठी एवं काव्यगोष्ठी आज दिनांक 07 अप्रैल 2024 रविवार को संस्था के मुख्यालय प्रतापनगर के कलाकार काली रुस्तमपुर गोरखपुर के 'नायक अकादमी' का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित भाषाविद/संपादक/समीक्षक प्रोफेसर रामदरश राय ने एवं कार्यक्रम संचालन शशिबिंदु नारायण मिश्र ने की। कार्यक्रम में सहायक मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे भाऊ जी रहे। उद्योगपति के प्रथम चरण में रवीन्द्र मोहन त्रिवाल ने 'गोरखपुर' जैसे शहर में 'एक्सप्रेस' की जरूरत बताई। पत्रकार भाऊ जी ने संस्था के उद्देश्य और सार्थकता पर विचार-विमर्श किया। वैकिष्य अकीमत का दूसरा चरण आयोजित किया गया। एक्सप्रेस के तीसरे फेफ के पहले रविवार को वागीश्वरी मिस्त्री 'वागीश' के संस्थापक प्रोसर रामदरश राय और शेयर मिस्त्री दीपक की समीक्षा में यह तय हो गया है।

काव्य-गोष्ठी की संस्थापिका श्वेता सिंह द्वारा सस्वर सरस्वती वंदना से हुआ। उनके बाद के कवि सत्यशील राम ने नेताओं के फरेबी चरित्र पर कविता पढ़ी - "जिन्होंने फूल तोड़े, तीन पेड़ केटे, डालियां ड्रुम। संसद भवन में कर रहे बाग के चर्चे।" डॉ. फूलचंद प्रसाद गुप्ता ने पढ़ा - "ऊपर से बहुत सटल बा, अंदर बहुत कटल बा।" विनोद निर्भय ने बहुत गहरी कविता पढ़ी है - "किसी को जिंदगी कुछ भी यहां यू ही नहीं मिलती, जो भी मिले, समझो कभी कीमत चुकाई जाती है।" 

क्रेजी गौरी ने "सोने की लंका हो रे मिथिला हो, हिरणी को हर हाल में कसाई से अलग किया है" शेर उपलब्धि को अलग दिशा दी। अरुण ब्रह्मचारी की इन कट्टरपंथियों की प्रसिद्ध अभिनेत्री हुई - "पासे वफ़ा का दोस्त मेरी कुछ कोशिश कर, पत्थर न नकली मेरी तरफ यूँ उछाल कर।" राम सुधार सिंह सैंथवार ने गाँव के प्रतिरूपी खंड-खंड का वास्तविक चित्रण किया--"दुरा पर थारे सियार, भील ​​घरवा बेसियन उजाद।" एसोसिएट्स मिश्र दीपक ने सामाजिक यथार्थता का चित्रण करते हुए कहा-''आपस में होटल से कटे हुए हम, इलेक्ट्रॉनिक्स में जुड़े से आए हम''। वयोवृद्ध कवि वागीश्वरी मिश्र वागीश ने पारिवारिक जीवन में उधेदन-बिस्तर का यथार्थ वर्णन किया है - "फेंकी देहली थरिया, मस्जिद के डोनरी। बुढ़वा पुरी के सुनावे लगली गारी।" कुमार अभिनीत ने शोषण पर प्रहार करते हुए पढ़ा--"मनी के मारी के बनवल्स जो कोठी, अटके गठिया में खाइब जो रोटी।" रामसमुझ 'साँवरा' ने अपने भोजपुरी गीत में पर्यावरण की महत्ता पर गीत पढ़ा - "पेड़वा कटाता, गाँव-गाँव। मोहाल होता है निबिया के छाँव।"

शिष्या में श्वेता सिंह, हरिशरण पति त्रिमूर्ति, सुशीला गुप्ता मुदिता, डॉक्टर अरविंद कुमार मिश्र, प्लास्टिक मिश्र, दीपक आदि कुमार शहर के लगभग दो व्यंजन / कवियित्रियों ने काव्यपाठ किया।

  मुख्य अतिथि राघवेंद्र दुबे भाऊ जी ने शब्दों के अर्थ और अर्थ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नवीन दशक में सिद्धांतों के सिद्धांत को बढ़ावा दिया गया और संपूर्ण जीवन बाजार का महत्व हो गया है, उनके साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफ़ेसर रामदरश राय ने कहा कि -"अभिव्यक्ति ने वैज्ञानिक-संस्था को बड़ा उद्देश्य लेकर चल रही है और अनेकानेक महान और नवीन प्रशिक्षकों को मंच के संस्थापक के रूप में नियुक्त किया है। अवसर की संभावना। यहां आना और सबसे प्यारे कलाकारों को काफी संतोष हुआ है कि उनका काफी अच्छा लिखा जा रहा है।

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