वायु सेवा में अपना परचम लहराने के बाद डॉ तूलिका रानी अब महिलाओं और छात्राओं के लिए बनी प्रेरणा स्रोत
वायु सेवा में अपना परचम लहराने के बाद डॉ तूलिका रानी अब महिलाओं और छात्राओं के लिए बनी प्रेरणा स्रोत
वायु सेना से पर्वत तक अपना पराक्रम दिखाने के बाद अब महिलाओं में ला रही जागृति
रिपोर्ट: संतोष पाण्डेय
सुल्तानपुर। आर्य प्रयास न्यूज नेटवर्क। पूर्व वायु सेना अधिकारी स्क्वाड्रन लीडर डा. तूलिका रानी की साहस भरी कहानी महिलाओं के लिए प्रेरणादायी है।वर्तमान में वो डीएसएन कालेज में इतिहास विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। माउंट एवरेस्ट पर सफल आरोहण करने वाली प्रदेश की पहली महिला पर्वतारोही हैं। इसी के साथ वो एशिया के सर्वोच्च ज्वालामुखी पर तिरंगा फहराने वाली प्रथम भारतीय महिला हैं। वायु सेना से पर्वत तक अपना पराक्रम दिखाने के बाद अब महिलाओं में समाज में फैली विकृतियों से लड़ कर निखरने का जोश भर रही हैं। तूलिका डीएसएन कालेज में पढ़ाने के साथ ही अपने प्रेरणादाई वक्तव्य, और पुस्तकों को इसका माध्यम बनाती हैं। छात्राओं को सपनों का असमान छूने के लिए कुछ अलग तरह से प्रेरित करती हैं। उनमें शिक्षा, अथक परिश्रम एवं दृढ़ इच्छाशक्ति द्वारा कुछ कर गुजरने के लिए संघर्ष का जज्बा भरती हैं। इस काम में उनकी प्रकाशित आठ पुस्तकें भी शामिल होती हैं।हाल ही में उन्हें नई दिल्ली स्थित भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा उत्तर प्रदेश की थारू जनजाति की महिलाओं पर शोध परियोजना के लिए चयनित किया गया है।स्क्वाड्रन लीडर (डॉ) तूलिका रानी वर्ष 2023 में उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार की G-20 ब्रांड एंबेसडर रह चुकी हैं। उन्हें लखनऊ प्रशासन ने 2022 तथा 2024 में क्रमशः विधान सभा चुनावों एवं लोक सभा चुनाव में चुनाव आयोग के वोटर जागरूकता अभियान स्वीप की ब्रांड एंबेसडर तथा डिस्ट्रिक आइकन भी नियुक्त किया था।वह भारत, नेपाल, भूटान, ईरान,अफ्रीका, रूस आदि देशों में 26 पर्वतारोहण एवं ट्रैकिंग अभियान कर देश का गौरव बढ़ा चुकी हैं। उन्हें 2025 की गणतंत्र दिवस परेड में भारत सरकार की सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।एक अंतरराष्ट्रीय प्रेरणादाई वक्ता के रूप में वह भारत, नेपाल, मॉरीशस, अमरीका, इंग्लैंड, आयरलैंड, इटली, रूस, कनाडा आदि देशों तथा दूरदर्शन, इग्नू के ज्ञानवाणी, नेहरू युवा केंद्र, आदि में 400 से अधिक व्याख्यान एवं साक्षात्कार दे चुकी हैं। उनकी आठ पुस्तकें दिल्ली से प्रकाशित हुई हैं जिनके लिए उन्हें साहित्य श्री तथा यंग राइटर अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रानी लक्ष्मी बाई वीरता पुरस्कार सहित 20 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। हाल ही में डॉ रश्मि रस्तोगी की पुस्तक 'भारत की प्रथम महिला विभूतियां' में एक अध्याय उनके कार्यों पर भी लिखा गया है। वह महिलाओं के समान अधिकार, पर्यावरण, हिमालय संरक्षण, युवा शक्ति, सेना, एडवेंचर खेल आदि के क्षेत्र में प्रशासन एवं गैर प्रशासनिक संगठनों के माध्यम से सक्रिय रहती हैं।
.jpg)
Comments
Post a Comment