कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रशिक्षण आयोजित कर अनुसूचित जाति के 86 किसानों को नि:शुल्क बीज का किया गया वितरण
कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रशिक्षण आयोजित कर अनुसूचित जाति के 86 किसानों को नि:शुल्क बीज का किया गया वितरण।
वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षण में कम लागत एवं तकनीक अपनाकर अधिक गुणवत्तायुक्त उत्पादन हेतु किया गया प्रेरित।
रिपोर्ट: वेद प्रकाश तिवारी
मिल्कीपुर अयोध्या। आर्य प्रयास न्यूज़ नेटवर्क।आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के प्रसार निदेशालय द्वारा भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित अनुसूचित सबप्लान परियोजना के अंतर्गत किसानो को समय से उच्च कोटि के धान एवं सब्जियों के बीज उपलब्ध कराकर अधिक गुणवत्ता युक्त उत्पादन हेतु कार्य किया जा रहा है। इसके लिए अनुसूचित सबप्लान परियोजना के तहत जनपद अयोध्या के ग्राम सभा चौधरीपुर, अकमा, बॅवा, धमथुआ, तेंधा, गड़ौली, पूरबगाॅव, ऐंजर, इसौलीभारी, सिधौना, रतापुर एवं कड़ैला आदि के 86 कृषकों को धान की प्रजाति बीपीटी 5204, एनडीआर 2065, एनडीआर 359, किसानों की मांग अनुसार सरयू 52 व खरीफ में उगाई जाने वाली सब्जियों के बीज भिण्डी, तराई, कद्दू, लौकी, करैला, पालक, लोबिया, मिर्चा, बैगन, सहजन इत्यादि की अधिक उत्पादन देने वाली की नवीनतम प्रजातियों का बीज किसानों उपलब्ध कराया गया। तकनीकी रूप से किसानों परिपूर्ण करने हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन भी किया गया। जिससे इनके परिवार में कुपोषण को दूर करना एवं भोजन में सब्जियों का समावेश करने आवश्यक खनिज लवण व विटामिन की पूर्ति की साथ ही साथ धात्री माताओं व बहनों को एनीमिया से छुटकारा दिलाना है।
विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि 12 गाँव के 86 किसानों को प्रशिक्षित कर निशुल्क बीज वितरण कार्यक्रम के एक दिवसीय प्रशिक्षण में निदेशक प्रसार डा ए पी राव ने आये हुए कृषकों को परियोजना के अनुरूप खेतों में कम लागत तकनीक अपनाकर अधिक गुणवत्तायुक्त उत्पादन हेतु प्रेरित किया जिसमें समय से नर्सरी की बुआई, रोपाई की तकनीक व जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया। निदेशालय के वैज्ञानिक डा आर आर सिंह ने स्वथ्य मृदा से अधिक उत्पादन हेतु मृदा स्वास्थ्य पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सतत खेती को बढ़ावा देने पर बल दें तथा आने वाली पीढ़ी को भी भूमि खेती योग्य सौंप सके। फसल सुरक्षा बैज्ञानिक डा बी पी चैधरी ने धान में हर्दिया रोग से बचाव हेतु भूमि शोधन व बीज शोधन की तकनीक किसानों को दी। कीट बैज्ञानिक डा पंकज कुमार ने सब्जियों में अंधाधुंध कीटनाशक रसायनों के प्रयोग से बचने के लिए जैविक कीटनाशी जैसे नीम की खली, नीम के तेल का छिड़काव, गौमूत्र, लहसुन व तम्बाकू के पेस्ट के साथ तैयार कीट नाशक के प्रयोग पर विशेष जानकारी प्रदान की। सब्जी वैज्ञानिक डा शशांक शेखर सिंह ने बताया कि प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन स्वस्थ्य रहने के लिए कम से कम 300 ग्राम सब्जी का सेवन करना चाहिए। इन सब्जियों में पत्तेदार सब्जियाॅं व कन्द वाली सब्जियाॅं तथा बीन्स इत्यादि समाहित होनी चाहिए। अंत में निदेशालय में आये हुए समस्त कृषकों का श्री शैलेन्द्र कुमार सिंह ने आभार व्यक्त करते हुए किसानों को आश्वासित किया कि जब भी आपको कृषि सम्बन्धी समस्या आयें उसके तकनीकी समाधान हेतु पूरा विश्वविद्यालय परिवार आपके साथ है।
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