धर्मो रक्षति रक्षिता–बाल व्यास मधुर जी महाराज
धर्मो रक्षति रक्षिता-बाल व्यास मधुर जी महाराज पत्रकार संतोष पांडेय के ग्रामीण आवास पर कथा के छठवां दिन रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया गया धनपतगंज सुल्तानपुर। आर्य प्रयास न्यूज़ नेटवर्क । श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के छठवें दिवस पर पूज्य व्यास बाल मधुर जी महाराज ने कथा में कंस वध, गोपी उद्धव संवाद एवं श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का वर्णन बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ किया। पूज्य महाराज ने बताया कि एक सरल व्यक्ति कैसे आक्रामक व्यक्ति के रूप में कैसे बदल जाता है। भगवान कृष्ण आपने साथ में बांसुरी थे। बांसुरी की ध्वनि को सुनकर जड़ वस्तुएं भी चैतन्य स्वरूप में आ जाती थी। लेकिन बांसुरी से धर्म की रक्षा नहीं हो सकती क्योंकि दुष्ट और अधर्मी धर्म की नीति से या शास्त्र की नीति से या समझाने से नहीं समझते हैं। ऐसी स्थिति में प्रभु श्री कृष्ण को अस्त्र उठाना पड़ा। यह भी कहा गया है कि शस्त्र और शास्त्र दोनों की आवश्यकता है। यदि हम धर्म की रक्षा करते हैं तो धर्म हमारी भी रक्षा करता है। रथ रोको सखी, मथुरा चलबय कहा जाता है। गोपियों ने जब प्रभु श्री कृष्ण मथुरा जाने लगे तो उनके रथ की धूल जहां तक दि